Diya Jethwani

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लेखनी कहानी -02-Jul-2023... एक दूजे के वास्ते... (21)

रोहित रिसेप्शन पर गया ओर कमरे के लिए पुछा। उसे कमरा मिल भी गया.....। 

रोहित ने अलका को फोन करके बताया कि कमरा मिल गया है।

 
ठीक है रोहित....। 

रश्मि को होश आया.....? 

नहीं, अभी भी नींद में ही  बड़बड़ा रही हैं.....। 

ठीक हैं.....। उसके होश में आते ही मुझे बताना....। 

ठीक हैं.....। 

रोहित ने फोन रख दिया। 

वही दूसरी ओर रश्मि कि मम्मी भी अपने कमरे में जाने लगी। 
थोड़ी देर बाद रश्मि के वाशरूम में छिपा हुआ मोहन भी बाहर आया ओर अपने कमरे में चला गया.....। 


कुछ देर बाद मोहन को रिषभ का फोन आया। 

हैलो पापा......! रोहित घर पर हैं क्या.....? 

नहीं रिषभ.....वो लड़की ओर रोहित रश्मि को लेकर किसी गेस्ट हाउस में गए हैं। तु कहाँ हैं.....? 


मैं अपने अड्डे पर छिपा हुआ हूँ....। 

 लेकिन तु छिप क्युं रहा हैं बेटा.....तुने तो कुछ किया ही नहीं है.... ओर तुने क्या मैंने भी कुछ नहीं किया हैं....। तो फिर हम डर क्यूँ रहें हैं। 

क्या मतलब पापा....? 


मतलब उसका रेप तो हुआ ही नहीं हैं ना....। 
हमने सिर्फ जबरदस्ती कि थी। कुछ होने से पहले ही तो वो लड़की आ गई थी। ओर उस लड़की को ओर रोहित को लग रहा हैं रेप हुआ है... जबकि ऐसा कुछ नहीं हुआ हैं.....। 
अभी तु बिना डरें घर आजा। अगर रोहित हम पर इल्जाम लगाता भी हैं.......तो हम कह सकते हैं कि मेडिकल रिपोर्ट करवा कर देख लें। अपने आप सच सामने आ जाएगा। 


पर पापा रोहित ये कभी नहीं मानेगा....। रश्मि कि कंडीशन तो खराब हैं ना। 


उसकी कंडीशन बेहोशी कि दवाई के ओवर डोज़ कि वजह से ज्यादा खराब हुई हैं बेटा....। 


नहीं पापा फिर भी इस वक़्त अपना वहाँ रहना सही नहीं हैं। मैं तो कहता हूँ। आप भी यहाँ आ जाओ। 


 ठीक हैं फिर ......ऐसा ही करता हूँ। मैं अभी आता हूँ वहाँ। 
 
ऐसा कहकर मोहन ने फोन रख दिया....। 

 

उसी वक्त रश्मि की मम्मी ने अलका को फोन किया....। 
उन्होंने मोहन ओर रिषभ की फोन पर हुई सारी बातें भी सुन ली थीं....। 

अलका उनका नंबर देखकर पहले तो चौंक गई... पर फिर हिम्मत करके फोन उठाया.. :- हैलो आंटी....। आपने इस वक़्त फोन किया है। दिल्ली में सब ठीक तो हैं ना....। 


मुझे सब पता हैं अलका .....तु भी यही है। मैंने तुझे देख लिया था यहाँ। 

 सॉरी आंटी। मेरी वजह से.. वो मैं..... 
 
अभी वो सब छोड़ ये बता रश्मि को होश आया.....? 
मैंने तुझे ओर उस लड़के रोहित को देखा था.....साथ ले जाते हुए...। 


नहीं आंटी....अभी भी होश नहीं आया हैं उसे....आंटी क्या आपको पता है रश्मि के साथ....
 
मुझे सब पता हैं। अभी तु सुन जो मैं कहती हूँ। 
मैंने अभी मोहन भाईसाहब ओर रिषभ को फोन पर बात करते हुए सुना था। 
रश्मि के साथ बलात्कार नहीं हुआ है। उन लोगो ने कोशिश जरूर कि थी ......पर तुम वहाँ वक़्त पर पहुँच गई थी। रश्मि की तबीयत बेहोशी कि दवाई ज्यादा ले लेने से इतनी खराब हुई हैं। 
तुम रोहित के साथ जाकर पहले उसे हास्पिटल ले जाओ। 


आंटी आप सच कह रही हैं.....। 


हां बेटा। मैं भी एक औरत हूँ.....बेटा .....ये तकलीफ समझ सकती हूँ.....। रश्मि तो क्या भगवान किसी दुश्मन की बेटी के साथ भी ऐसा ना करें....। 


थैंक्यु आंटी.....। आप नहीं जानती आपने मुझे कितनी बड़ी खुशी दी है......। 
अलका ने रोते रोते फोन रख दिया। 


थोड़ी देर बाद  उसने रोहित को फोन करके अपने कमरे में बुलाया। 

रोहित तुंरत अलका के कमरे में आया। 
क्या हुआ अलका तुमने मुझे अचानक जल्दी आने को कहा....। रश्मि ठीक तो है ना....। रोहित ने कमरे में घुसते ही कहा।
 

रोहित के आते ही अलका दौड़ कर रोहित के गले लग गई ओर रोने लगी। 
रोहित ने उसे अपने से दूर किया ओर उसके कंधे को पकड़ते हुए कहा:- क्या हुआ अलका बोलो प्लीज...। मेरा दिल बैठा जा रहा हैं...। 


अलका ने रोहित को रश्मि की मम्मी कि कहीं हुई हर बात बता दी। 

पुरी बात सुनते ही रोहित ने एक गहरी सांस ली। पास रखी कुर्सी पर बैठ गया। 

रोहित हमें रश्मि को हास्पिटल लेकर चलना चाहिए। इतनी देर से बेहोश हैं, कही उसकी तबीयत खराब ना हो जाए। 


ठीक हैं....। पर हमें अभी ऐसे में आंटी को भी वहाँ अकेला नहीं छोड़ना चाहिए। हमें उनको भी अपने साथ ले लेना चाहिए। 
मैं रश्मि को लेकर आता हूँ.....। तुम आंटी को फोन कर दो की हम लेने आ रहे हैं.....। 


ठीक है रोहित....। 
रोहित ने रश्मि को अपनी बांहों में उठा लिया ओर अपनी गाड़ी की ओर चल दिया। 



रोहित रश्मि को अपनी कार तक लाया। 
अलका ने डोर खोला। 
रोहित ने रश्मि को पीछे की सीट पर बैठाया ओर अलका को भी बैठने को कहा। 


 अलका फोन किया आंटी को...? 


हां वो घर के बाहर ही हमारा इंतजार कर यही हैं......वो खुद बहुत डरी हुई हैं....। 


अलका मन ही मन सोच रही थी।। आंटी जी अचानक इतना कैसे बदल गई। उनको तो रश्मि से इतनी नफरत हैं....जिसकी कोई हद नहीं...। बचपन से सिर्फ रश्मि का अपमान ओर बातें ही सुनाती रहती थी.....फिर आज ये सब.....अगर सच में उनका स्वभाव बदल गया है तो रश्मि कितना खुश होगी.....। वो बचपन से कितना तड़पी हैं....माँ के प्यार के लिए....। प्लीज भगवान अब मेरी रश्मि के इम्तहान लेना बंद करो उसकी झोली में माँ का प्यार डाल दो.....। 

इतने में रोहित ने गाड़ी रोकी तो अलका का ध्यान टुटा....। 

क्या हुआ रोहित.....? 

 अलका आंटी तो यहाँ दिख नही रही....!! 
 
रोहित तुम रश्मि के पास रुको मैं अंदर देख कर आती हूँ....। 

नहीं अलका तुम अंदर अकेली मत जाओ...। तुम यही रुको मैं देखकर आता हूँ...। 


लेकिन रोहित अगर तुम अंदर गए ओर यहाँ कोई आया तो....! 

हां वो भी सही हैं....। एक काम करो आंटी को फोन करो....। 

 हां.....। 
 
अलका ने फोन लगाया...। पर फोन बंद आ रहा था....। 


रोहित आंटी का फोन बंद आ रहा हैं....। अभी थोड़ी देर पहले ही बात हुई थी.....। जरुर कुछ गड़बड़ हैं....। उन दोनों ने ही कहीं...... आंटी को.....!! 


रोहित-तुम घबराओ मत....। हम पहले रश्मि को होस्पिटल लेकर चलते हैं.....फिर देखते हैं क्या करना हैं....। 

ठीक है रोहित....। 


अलका और रोहित दोनों रश्मि को लेकर हास्पिटल चल दिए। 
रात का समय था.....हास्पिटल में कोई डाक्टर नहीं था। 
रोहित ने तुरंत अपने फैमिली डाक्टर को फोन करके वहाँ बुलाया। डाक्टर ने आते ही रश्मि को इलाज के लिए केबिन में ले गए...। 
कुछ देर देखने ओर चेक अप करने के बाद डाक्टर बाहर आए...। बाहर अलका ओर रोहित परेशान होकर खिड़की के पास खड़े थें....। 

डाक्टर के बाहर आते ही दोनों उस तरफ भागे । 

क्या हुआ डाक्टर रश्मि ठीक तो है ना.....!!
दोनों ने साथ में पुछा। 

डाक्टर- वैसे तो ठीक है पर.... 

रोहित-पर क्या......? 

देखो रोहित में तुमसे कुछ भी छुपाउंगा नहीं.....। 
रश्मि को कोई बहुत ही नशीली चीज़ खिलाई गई है ओर उसके साथ शायद कोई ऐसा हादसा भी हुआ है जिससे वो बहुत डर गई हैं....। ऐसे में उसके दिमाग पर ओर शरीर पर बहुत बुरा असर हुआ हैं....। इसलिए अभी हम कुछ कह नहीं सकते कि वो कब तक होश में आएगी.....हमें कम से कम   24 घंटे रश्मि को आपातकाल में रखना होगा.....। मैं अभी से इसका इलाज शुरू कर देता हूँ....। मैनें यहाँ के स्टाफ से भी बात कर ली हैं...। तुम टेंशन मत लो.....। भगवान पर भरोसा रखो .....। 



रोहित ओर अलका का ये सुनते ही मानो पैरों तले जमीन खिसक गई हो.....। 
अलका फूट फूट कर रोने लगी.....। 


रोहित उसे चुप कराते हुए बोला- हिम्मत रखो अलका, हमें आंटी जी को भी ढुंढना हैं। मैं पुलिस स्टेशन जा रहा हूँ....। तब तक तुम यहाँ रश्मि का ध्यान रखना...। 


रोहित इतना कहकर अभी दो कदम चला ही था कि ....उसके फोन कि रिंग बजी.....। 


रोहित ने अपना फोन देखा तो रिषभ का नाम था।
 रोहित ने तुरंत फोन उठाया ओर बोला--: आंटी कहां है रिषभ। झूठ तो बोलना मत अब मुझसे....। मुझे सब पता है ये सब तुने ही किया हैं......। 


क्या बात है भाई......। आप तो अंतरयामी निकले....। 


अपनी इस गंदी जुबान से मुझे आज के बाद कभी भाई मत बोलना.....। 


रिषभ हंसते हुए:- ठीक है रोहित मुझे भी कोई शौ़क नहीं हैं.....तुझे अपना भाई बनाने का.....। ये तो बड़े पापा जी कि मेहरबानी हैं कि ......अब तक तुझसे रिश्ता रख कर बैठा हूँ। 
अगर बड़े पापा ने मुझे ओर पापा के साथ नाइंसाफी ना कि होती ओर हमे हमारा हिस्सा दे दिया होता तो तेरी शक्ल भी नहीं देखता.....। 


अब मैं अच्छे से जान गया कि पापा ने क्यूँ अंकल को.... 


रिषभ बिच मे बोलते हुए -: देखो रोहित मुझे अब कुछ ज्ञान देने की जरूरत नहीं हैं.....अगर आंटी की सलामती चाहते हो तो, अपने घर, फार्म हाउस, और मुम्बई में दोनों फ्लैट सब कुछ हमारे नाम कर दो। हम आज तक तेरी गुलामी इसलिए ही सहते आ रहे हैं......। हम किसी अच्छे मौके...की तलाश में थे.....ओर मौका तुने खुद हमे दे दिया.....। 



रश्मि के लिए तेरी हमदर्दी देख कर मैं ये अच्छे से समझ गया हूँ कि ......तेरे दिल में उसके लिए बहुत प्यार है, वरना तुने तो आज तक किसी लड़की को भाव नहीं दिया......। मुझे अब कोई टाइम पास नहीं करना है, जितना कहा हैं....वो सब चुपचाप कर दो। 


 ओर अगर मैं ऐसा कुछ ना करूँ तो......? 

रिषभ जोर जोर से हंसते हुए:- तो!.......तु अच्छे से जानता हैं......मैं क्या कर सकता हूँ...... मैं जानता हूँ तेरी बहुत जान पहचान ओर इज्जत हैं......इस शहर में.......लेकिन इतना याद रखना अगर कोई भी चालाकी की तो...... अगर आंटी जी को कुछ भी हो गया तो ...क्या रश्मि तुझे कभी मिल पाएगी, क्या वो कभी तुझे माफ कर पाएगी........सोच लो....। 



ठीक है रिषभ......मैं सब कुछ तुम्हारे नाम करने के लिए तैयार हूँ....। लेकिन बस आंटी को कुछ नहीं होना चाहिए.....। 


 अरे डियर......! सोने की मुर्गी देने वाली को .....मैं क्यूँ कुछ करने लगा......। तुम बस जल्दी से मेरा काम कर दो। मैं इनको छोड़ दूंगा....। 


ठीक हैं.....। मुझे बताओ कहाँ आना हैं.....। 


तुम्हे कही आने की ओर कही जाने की जरूरत नहीं हैं....। आधे घंटे में मेरा एक आदमी सारे कागजात लेकर आ रहा है तुम्हे बस उन पर साइन करने हैं.....। 
कागजात मेरे पास आते ही.....मैं आंटी को तुम्हारे पास भिजवा दूंगा, सही सलामत.....। 


ठीक हैं......। लेकिन आंटी को एक खरोंच भी नहीं आनी चाहिए......। मैं पहले उनसे बात करुंगा फिर साइन करुंगा। समझे.....। 


ओके ब्रदर।इतना कहकर रिषभ ने फोन रख दिया....।
 

अलका रोहित की फोन पर सारी बातें सुन रही थी। रोहित के फोन रखते हुए ही बोली:- कौन है वो रोहित.....? क्या बात हैं.....? क्या देना हैं....? आंटी जी ठीक तो है ना....? 


हां अलका वो बिल्कुल ठीक हैं......। तुम बस रश्मि का ध्यान रखो.....। मैं अभी आता हूँ....। 

ऐसा कहकर रोहित किसी को फोन करता हुआ हास्पिटल से बाहर आ गया। 

अलका कुछ ओर पुछती उस से पहले ही वो अपनी गाड़ी में बैठ कर कहीं चला गया....।
 

अलका वापस रश्मि के बैड के पास आकर बैठ गई....। रश्मि अभी भी अचानक कभी नींद में कुछ बोलती फिर अचानक से खामोश हो जाती....। उसके एक हाथ में ग्लुकोज की सिरींज लगी हुई थी, ओर दुसरे हाथ में मोनीटर अटेच किया हुआ था जो उसके धडकनो ओर ब्लडप्रेशर को रीड कर रहा था। एक नर्स भी वहाँ थी जो समय समय पर रीडिंग देख रही थी ओर रश्मि के हाथ में लगी सिरींज में दवाई भी डाल रही थी.....। 


रश्मि को ऐसे देख अलका के मन में ख्याल घुमने लगे...रश्मि को इंजेक्शन से कितना डर लगता था......। कितनी बार वो ऐसे बहाने बनाकर भाग जाया करती थी.....। ओर आज सब कुछ कैसे चुपचाप सह रही हैं.....। क्युं रश्मि क्युं चुपचाप सह रही हैं..... उठ ना यार प्लीज उठ जा, मेरी जान.....।

 सोचते सोचते अलका की आंखों से आंसू बहने लगे। वो उसके बैड पर अपना सिर रखकर रोने लगी....।
 

थोड़ी ही देर में रोहित की गाड़ी की आवाज आई। अलका चौंक कर उठी ओर बाहर आई। 


कहां चले गए थे ऐसे......रोहित.....। क्या हुआ......सब ठीक तो है ना?


 रश्मि को होश आया.....!! 

नहीं......पर ये मेरे सवाल का जवाब नहीं है रोहित। 


तुम्हारे हर सवाल का जवाब दूंगा....पर अभी नहीं....। अभी सिर्फ तुम रश्मि का ध्यान रखो.....। प्लीज अलका......। 


अलका-ठीक है रोहित.......मत बताओ......पर इतना तो बताओ कि आंटी कैसी हैं....? 


वो बहुत जल्द हमारे पास होंगी.....। डोंट वैरी...। भरोसा रखो मुझ पर.....। 

इतना कहकर रोहित रश्मि के बैड के पास चला गया.....। 




# कहानीकार प्रतियोगिता


**************************************************क्या रश्मि की माँ सही सलामत आ पाएगी.....! 
क्या वो सच में बदल गई है.... या इसमें उनकी ही कोई चाल है...!!!! 
जानने के लिए पढ़े अगला भाग...। 



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2 Comments

Mohammed urooj khan

25-Oct-2023 12:05 AM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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Milind salve

11-Aug-2023 04:31 PM

Nice one

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